ब्यो(शादी )

Photo source- facebook/Kuldeep singh rawat

ब्यो(शादी )

मुस्कुरा उठा चेहरा,
मिट गया हर दर्द गहरा।
लगा कुछ यूँ 
कारवां तकलीफों का ठहरा 
बॉस से छुट्टी मांगने का बहाना मिल गया,
अपनी मिट्टी के पास जाना मिल गया.
याद आये वो ढोल दमों।
वो अपना बचपन वो जमाना मिल गया.
मौयार सा आ गया मन में 
सूखा सा पड़ा था जो,
जब माँ ने बताया 
की कब एैली  घर  फलाणा  का नोनो कु  छ  ब्यो। 
चेहरे पर आयी मुस्कुराहट,
खत्म हुए दिल के हर गम,
जब पास थी मेरे 
उत्तराखंड परिवहन निगम।



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