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कभी रात को
जब बिना बताये
बिजली गुल हो जाती,
तो तीरे से निकाल लेता
मैं उस काली धुँधरयाणी
चिमनी को।
वो खुद काली धुँधरयाणी नहीं थी,
वो हो गयी थी अपने धुंए से
लिपटते लिपटते।
लेकिन उस काली धुँधरयाणी
चिमनी ने ही बनाया।
मेरा सफेद और साफ़
भविष्य।
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