मुस्कुराहट


न कोई खर्चा
न कोई घाटा,
जितना है देता 
उतना है पाता। 
है ज़िंदगी 
पल दो पल की,
उसमे भी मानव 
क्यों है घबराता।
मिल जाता सब कुछ 
हिम्मत के दम पर।
रास्ते होते हैं आसां 
जब मुस्कुराता।
न कोई खर्चा
न कोई घाटा,
जितना है देता 
उतना है पाता। 




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