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उकाव(चढ़ाई )
उकाव होली बतेरी,
पर हिम्मत न हारी,
झुकी जाली एक दिन
दुनिया या सारी।
कलबल सी थोड़ा
होलु प्राण,
याद रखी उकाई का बाद
सेनार ही आण.
चलदी रे
हिम्मत न हारी,
खूट्टों माँ चाहे
पडी जला छावा,
घाम हो चाहे
बरखा हाँ मोटी,
अपड़ी जगा पर
ही रेदन डावा।
उकाव होली बतेरी,
पर हिम्मत न हारी,
झुकी जाली एक दिन
दुनिया या सारी।
Whaaa bhut bdia bhaiji👌👌
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